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रणजीत सिंह बेदी। (नायब तहसीलदार)

वर्ष 1989 में स्टैनोग्र्राफर के पद से अपनी नौकरी शुरू कर नायब तहसीलदार के पद पर पहुॅंचे रणजीत सिंह बेदी का जन्म नाहन में 2 दिसम्बर 1964 को श्रीमती प्रेम कौर की कोख से हुआ था। पिता खुशबाग सिंह टेलरिंग का काम करते थे। इनके दो बड़े भाग जसपाल सिंह व मनजीत सिंह हैं। जसपाल का वर्ष 2003 में देहान्त हो गया था, वहीं मनजीत सिंह बीएसएफ में कार्यरत हैं। बड़ी बहन रविन्द्र कौर पंजाब में ब्याही हैं और वहीं छोटी हरदीप कौर दिल्ली के जल निगम बोर्ड में कार्यरत हैं।
इनकी प्रारम्भिक शिक्षा नाहन के सरकारी स्कूल से शुरू हुई और हाई स्कूल करने के बाद इन्होंने प्रेप की और फिर जुब्बल हट्टी हवाई अड्डे पर वर्ष 1981-82 में कार्यरत रहे। फिर नाहन में पीडब्ल्यु डी विभाग में दैनिक भोगी के रूप में भी कार्य किया। 1989 में राजस्व विभाग में पहली स्थाई तैनाती हुई और पहली तैनाती एसडीएम कार्यालय राजगढ़ में बतौर स्टैनोग्राफर हुई। लेकिन इन्होंने इसी दौरान राजगढ़ नगर पालिका में कार्यकारी अधिकारी का कार्य भी संभाला।
1995 में इनका स्थानान्तरण पांवटा साहिब के उपमंडल अधिकारी ;ना0द्ध कार्यालय में हुआ और तब से वर्ष2018 तक इसी कार्यालय में कार्य किया। 2018 में नायब तहसीलदार के रूप में पदोन्नत हुए और टेªनिंग सिरमौर के शिलाई में की और वहीं कार्यरत हैं। नई स्थायी पोस्टिंग की कतार में हैं। दर्जनों अधिकारियों के साथ इन्हें काम करने का मौका मिला लेकिन जिन अधिकारियों ने इन्हें सबसे अधिक प्रभावित किया उनमें निशा सिंह, राजीव शंकर, मनमोहन शर्मा, एस.एस. गुलेरिया, सुनील चैधरी , राहुल आनन्द और हरि सिंह राणा शामिल हैं।
अमिता महाजन, डाॅ. एम.पी. सूद और श्रवण मांटा से इन्होंने काम की बारीकियां सीखी। मातहतों में बी.के. बैनर्जी, मोहन लाल से इन्हें सबसे अधिकस्नेह रहा। अपनी नौकरी का अधिकांश समय इन्होंने यद्यपि पांवटा में गुजरा लेकिन राजगढ़ प्रवास के दौरान इन्हें काम करने में काफी आनन्द आया। आदर्श शिक्षक का दर्जा अंग्रेजी की शिक्षिका ललिता अत्री व रेखा तोमर को मानते हैं। अपने जीवन का सबसे सुखद अपनी सरकारी नोकरी मिलने वाले दिन को मानते हैं वहीं अपने पिता के देहान्त वाले दिन को अपने जीवन का सबसे दुखद दिन मानते हैं।
इनका विवाह 22 जनवरी 1992 को जिला सोलन के ग्राम गौड़ा निवासी कृषक नत्थुराम की सुशिक्षित पुत्री प्रवीण लता से हुआ जिससे इन्हें दो बेटे रोबिन व सुखमीत सिंह प्राप्त हुए। बड़ा रोबिन उच्च स्नातक करने के बाद आई.ए.एस. की कोचिंग कर रहे हैं वहीं छोटे बेटे सुखमीत ने बी.फार्मा कर लिया है और चंडीगढ़ की प्रतिष्ठित फार्मा कम्पनी में कार्यरत हैं। अपनी पत्नी से इनके बड़े मधुर सम्बन्ध हैं और यह उन्हें अपना प्रेरणास्रोत भी मानते हैं। इनका प्रेम विवाह था लेकिन समय बीतने के साथ पत्नी की अच्छाईयाॅं भी सामने आई। पत्नी की इच्छा पूरे परिवार को एकजुट रखने की रही है लेकिन भावुक भी जल्दी हो जाती हैं जिसका उन्हें खमियाज़ा भी भुगतना पड़ता है।
अपना आदर्श पुरूष अपने पिता को मानते हैं वहीं आदर्श महिला का दर्जा अपनी नानी लाजवंती को देते हैं जो इनके साथ ही रहती थी। खेलों में इन्हें बास्केट बाॅल और बैडमिंटन काफी पसन्द हैं और इन्होंने स्वयं भी राष्ट्रीय स्तर तक खेला है। बास्केट बाॅल खिलाड़ी कुलदीप कटारिया इनके पसन्दीदा खिलाड़ी हैं। मदर इंडिया नामक फिल्म ने इन्हें सबसे अधिक प्रभावित किया है और राजकुमार व नर्गिस इनके पसन्दीदा फिल्मी सितारे हैं।
बचपन की उस पिटाई को कभी नहीं भूलते जब स्कूल की ओर से शिकायत मिलने पर पिता स्कूल से भरे बाजार पीटते हुए घर ले गये थे। इन्हें अपने जीवन में सबसे अधिक स्नेह अपनी पत्नी से मिला है और यह स्वयं भी सबसे अधिक स्नेह अपनी पत्नी व बच्चों से करते हैं। बच्चों को क्या बनाना चाहते हैं? तो इस बारे में बेदी कहते हैं कि उनकी इच्छा तो बच्चों को उच्च अधिकारी के पदों पर देखने की है लेकिन बच्चों के किसी भी निर्णय मंे वह बाधा उत्पन्न नहीं करेंगे। खाने में इन्हें शाकाहारी व्यंजन ही पसन्द हैं और राजमा चावल को सबसे अधिक पसन्द करते हैं।
इस सवाल के जवाब में की अब तो आप अधिकारी बन गये हैं यानि अब हस्ताक्षर नीली स्याही की बजाए हरी स्याही से होने लगे हैं तो इस सफर तक पहुॅंचे में आप को कैसा लगता है? इस सवाल का रणजीत तत्काल देते है और कुछ यॅंू कहते हैं कि ”काफी गौरवान्वित महसूस कर रहा हूॅं क्योंकि 27 साल की नौकरी के बाद यह मौका आया है। साथ ही कहते हैं कि अब नौकरी के केवल 4 साल बचे हैं उन्हें जरूरत मंदों की मदद करने में ही गुजारने की इच्छा रखता हूॅं। अपने जीवन के 27 साल की सेवा के दौरान आपको किसी मजबूर व गरीब व्यक्ति की सेवा करने के जो मौके मिले उनमें जो याद हो, तो वह हमारे पाठकों के साथ साझा करें। इस पर बेदी एकदम कहते हैं कि एक जरूरत मंद विधवा अपनी जवान बेटी के साथ खुले आसमान में रहती थी उसे मंगल दूध सेवा समिति के माध्यम से दो बिस्वा जमीन दिलाने पर इन्हें अपार खुशी का अनुभव हुआ था और ऐसे और भी जरूरतमदों की सेवा करने का इन्हें मौका मिले, उसके लिए यह भगवान से प्रार्थना करते हैं।

अराध्या गुलाटी

चोर-चोर मोसैरे भाई