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युवाओं को अपनी संस्कृति के संरक्षण के प्रति शिक्षित करना आवश्यक- जयराम

शिमला ( प्रे.वि )
आधुनिकता वाद की इस दौड़ के बीच शिक्षा, विशेषकर वैज्ञानिक शिक्षा को युवाओं के सम्पूर्ण विकास के लिए विशेष प्राथमिकता देने की आवश्यकता है। यह बात मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने सरस्वती विद्या मन्दिर, विकासनगर में हिमाचल शिक्षा समिति द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय ज्ञान-विज्ञान मेले की अध्यक्षता करते हुए कही। मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा मानवता की वैज्ञानिक और तकनीकी उन्नति और निजी प्रशिक्षण की नींव है। उन्होंने कहा कि सच्ची नैतिकता, आध्यात्मिक वास्तविकता को लेकर जागरूकता में निहित है, जिसके लिए अनुशासित जीवन, एक सदाचारी और उपयोगी जीवन की अनिवार्यता रहती है, जो निःस्वार्थ सेवा के लिए समर्पित रहता है। भारतीय गणतंत्र के संस्थापकों ने वैज्ञानिक सोच के महत्व को समझा और देशवासियों ने इस भावना को सृजित करने के लिए इस हमारे संविधान में सम्मिलित किया। जय राम ठाकुर ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम शिक्षा के वास्तविक अर्थ को भूल गए हैं। क्योकि शिक्षा का अर्थ केवल किताबें पढ़ना और परीक्षा के दौरान उसे लिखना मात्र नहीं है। शिक्षा का सही अर्थ विद्यार्थियों की कुशलता को बढ़ाना और उनमें अपनी संस्—ति और परम्पराओं के प्रति सम्मान पैदा करना है, ताकि शिक्षा समाप्ति के पश्चात् वे रोजगार मांगने वाले नहीं बल्कि रोजगार प्रदान करने वाले बन सकें। उन्होंने कहा कि नैतिक शिक्षा के बिना शिक्षा अनुपयोगी है और शिक्षकों को अपने विद्यार्थियों को उच्च मूल्यों के बारे में शिक्षित करना चाहिए। साथ ही उन्हें अपने आचरण से भी उच्च उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए। विद्या भारती उत्तर क्षेत्र के महामंत्री देस राज शर्मा ने कहा कि ऐसी शिक्षा जो हमारी संस्कृति और परंपरा का संरक्षण नहीं कर सकती निरर्थक है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के माध्यम से विद्यार्थियों को हमारे आस-पास की दुनिया देखने का अवसर देने के साथ-साथ उन्हें सपने देखने की स्वतंत्रता देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि धर्म और विज्ञान का सबसे अच्छा मिश्रण समाज के कल्याण के लिए आदर्श है। इस अवसर पर छात्रों ने रंगारंग सांस्—तिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया। हिमाचल शिक्षा समिति के संरक्षक अच्छर सिंह ठाकुर, हिमाचल शिक्षा समिति अध्यक्ष देवी रूप शर्मा, महासचिव दिला राम चैहान, उपाध्यक्ष गुलाब सिंह मेहता, महापौर शिमला नगर निगम कुसुम सदरेट सहित कई शिक्षाविद् और विद्वान इस अवसर पर उपस्थित थे।

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